रविवार, 1 अप्रैल 2012

पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक



English Translation
Poem is from perspective of a flower, saying to its gardener

I don't desire to be part of ornaments of young women,
I don't desire to be part of garlands of lovers,
Oh God, I don't desire to be part of funeral procession of Kings,
Neither I desire to be offered to Gods in prayer, and feel proud of myself,
Just pluck me, O my gardener, and throw me on that path,
On which brave men journey to sacrifice their head for Motherland.

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