क्या करूँ?
मैं दुखी जब जब हुआ
संवेदना तुमने दिखाई,
मैं कृतज्ञ हुआ हमेशा
रीत दोनों ने निभाई,
किन्तु इस आभार का अब
हो चुका है भारी;
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी,
क्या करूँ?
एक भी उच्छवास मेरा
हो सका किस दिन तुम्हारा?
उस नयन से बह सकी कब
इस नयन की अश्रू-धारा?
शब्द को मूंदे रहेगी
शब्द की कब तक पिटारी?
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी,
क्या करूँ?
कौन है जो दूसरों को
दु:ख अपना दे सकेगा?
कौन है जो दूसरों से
दु:ख उसका ले सकेगा?
क्यों हमारे बीच धोखे
का रहे व्यापार जारी?
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी,
क्या करूँ?
क्या करूँ?
क्यों न हम लें मान, हम हैं
चल रहे ऐसी डगर पर,
हर पथिक जिस पर अकेला,
दुख नहीं बंटते परस्पर,
दूसरों की वेदना में
वेदना जो है दिखता,
वेदना से मुक्ति निज
हर्ष केवल छिपाता;
तुम दुःखी हो तो सुखी मैं
विश्व का अभिशाप भारी!
क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी,
क्या करूँ?
क्या करूँ?
English Translation
What should I do with your sympathy?
Whenever I was sad, you sympathized with me,
I was thankful, and we both did our part,
But this favour is becoming heavy now,
What should I do with your sympathy?
What?
When has even one of my sigh become your's?
When did your eyes water with my tears?
Till when can words will cover the truth?
What should I do with your sympathy?
What?
Who can give away his sorrow to others?
Who can take away someone else's sorrow?
Then why should false business continue between us?
What should I do with your sympathy?
What?
Why shouldn't we agree that, we are walking on the path,
On which every traveller is alone, and cannot share his sorrow?
Who sympathizes with other's pain, is simply hiding the job of his own painlessness
It's curse of world that one's sorrow is another's happiness.
What should I do with your sympathy?
What?
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 18 नवम्बर 2017 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!